कानपुर

चमड़ा उद्योग पर कोरोना का कहर, आर्डर गंतव्य पर, माल लेने से किया इंकार
ऋण की किस्तें अदा करने में भी परेशानी आ रही है, सरकार से हस्तक्षेप की मांग
कानपुर। कोरोना वायरस के चलते चमड़ा उद्योग को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक हफ्ते में ही कानपुर से करीब एक हजार करोड़ के आर्डर निरस्त हुए हैं। देशभर में यह आंकड़ा 7600 करोड़ तक पहुंच गया है। 
भारत समेत दुनिया भर के तमाम देशों में कोरोना का संक्रमण होने की वजह से आयातक देशों ने माल लेने से मना कर दिया है। इनमें फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात, यूएसए समेत दर्जन भर देश शामिल हैं। शहर के कई निर्यातकों ने आर्डर पूरे करके माल भिजवाया भी, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से संबंधित देशों ने जहाजों को प्रवेश नहीं दिया। इस वजह से कई सौ करोड़ का माल रास्ते में फंसा है। इसके अलावा कई देशों में भारत की तरह ही संपूर्ण बंदी लागू है। ऐसे में खरीदारी पूरी तरह बंद है। यह स्थिति लगातार बने रहने की आशंका है। 
चमड़ा उद्योग पर भविष्य के संकट को देखते हुए चर्म निर्यात परिषद के अध्यक्ष पीआर अकील ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। इनका कहना है कि संपूर्ण बंदी खत्म होने के बाद जब माल पहुंचेगा तो उसके बाद ही भुगतान मिलेगा। आर्डर पूरा करने और भुगतान न मिलने की वजह से अगले उत्पादन के लिए कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो गया है। 
इस वजह से बैंकों को कारोबारियों की क्रेडिट लिमिट 50 फीसदी तक बढ़ाने के लिए कहा जाए। कारोबार न हो पाने की वजह से ऋण की किस्तें अदा करने में भी परेशानी आ रही है। जब तक देश में कोरोना संकट है, कारोबारियों के ऋण की किस्तों के लिए दबाव न बनाया जाए। इस दौर का ऋण ब्याज भी माफ किया जाए। जीएसटी और ड्यूटी ड्रा बैक के रिफंड तत्काल प्रभाव से जारी किए जाएं। तीन महीने के बिजली बिल से राहत दिलाई जाए। कर्मचारियों के वेतन का 60 फीसदी हिस्सा सरकार की ओर से दिया जाए।
मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने में प्रशासन नाकाम
मनमाने दाम बसूले दुकानदारों ने
कानपुर। कोरोना के चलते केंद्र सरकार  द्वारा 14 अप्रैल तक पूरे देश को लॉक डाउन करने के बाद देश के सभी  हिस्सों में  पूर्ण बंदी  चालू है  प्रशासन ने  जनता की सुविधाओं को  दृष्टिगत रखते हुए  सुबह 6:00 से 11:00 तक आवश्यक सामग्री के सभी दुकानों को खोलने के आदेश दिए हैं लेकिन जनता ने आवश्यकता से अधिक खरीदारी करना शुरू कर दिया जिसके कारण व्यापारियों ने मुनाफाखोरी शुरू कर दी जनता कर्फ्यू से पहले के रेट में और अब के रेट में दोगुने का अंतर है जनता कर्फ्यू से पहले जहां आटा ₹25 किलो था वहीं अब आटे के दाम 40 से ₹50 तक पहुंच गए हैं प्रशासन ने जमाखोरी को रोकने के लिए बहुत वादे किए लेकिन उन पर लगाम लगाने में नाकाम रहा यदि किसी दुकानदार से रेट के बारे में शिकायत की जाती है तो दुकानदार बिना सामान दिए वापस कर देता है इस बीच दुकानदारों ने चीनी सरसों के तेल आटा नमक की जमाखोरी शुरू कर दी और दोगुने रेत पर बेचना शुरू कर दिया किसी ने शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए नंबरों पर शिकायत करने का प्रयास किया तो नंबर नहीं उठता।
- सुबह 6:00 से 11:00 के समय में नहीं कायम रहती सोशल डिस्टेंस
प्रशासन द्वारा जनता को राहत देने के लिए आवश्यक सामग्री हेतु खरीदारी के लिए 6 बजे से 11 बजे तक का जो समय निर्धारित किया है उसमें पब्लिक की इतनी भीड़  हो जाती है की जो दूरी एक दूसरे से होनी चाहिए वह नहीं रह पाती इस तरफ प्रशासन का ध्यान अभी तक नहीं है वायरस को रोकने के लिए जो सावधानियां बताई गई हैं इनमें एक सावधानी एक दूसरे से 1 मीटर की दूरी रखना भी है लेकिन खरीदारी के समय भीड़ इतनी ज्यादा तादात में आ जाती है।
कंट्रोल रूम 24 घण्टे संचालित रहेगा जिसमें शिफ़्ट वार अधिकारियों ,कर्मचारियों की ड्यूटी लगे- डीएम
 होम डिलीवरी पर प्रशासन ने होम डिलीवरी का खाका खींचा
कानपुर। जिलाधिकारी डॉ0 ब्रह्म देव राम तिवारी तथा मुख्य विकास अधिकारी ने नगर निगम स्मार्ट सिटी कार्यालय के तीसरे तल स्थापित कमांड एंड कंट्रोल  सेन्टर कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि आने वाली शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर सुनते हुए उसका निस्तारण कराना सुनिश्चित किया जाये। जिसका टोल फ्री नम्बर 18001805159 है यह कंट्रोल रूम 24 घण्टे संचालित रहेगा जिसमें शिफ़्त वार अधिकारियों ,कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है।
लॉक डाउन की अवधि में लोगों को जरूरी सामान लेने के लिए भी घर से न निकलना पड़े, इसके लिए प्रशासन ने होम डिलीवरी का खाका खींच लिया है। 1800 वाहनों से लोगों तक खाना और राशन कैसे पहुंचाया जाए, अब इसका एक्शन प्लान तैयार हो रहा है। यह व्यवस्था शुक्रवार से लागू हो पाएगी, इसलिए गुरुवार को जरूरी सामान की उपलब्धता के लिए अधिसूचित दुकानें सुबह चार बजे से 11 बजे तक खुल सकेंगी। इस दौरान खरीदारी के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के अनुशासन का पालन भी करना होगा। साथ ही आवश्यक वस्तु के परिवहन और विशेष परिस्थिति को छोड़कर आवागमन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह लागू करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राशन और अन्य जरूरी सामान की होम डिलीवरी कराने का व्यवस्था करने का आदेश दिया है। चूंकि सुबह सभी दुकान एक साथ खुलने पर सोशल डिस्टेंसिंग व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही हैं और इससे संक्रमण का खतरा अधिक है, इसलिए मंगलवार देर रात तक प्रशासन होम डिलीवरी की व्यवस्था कराने में जुटा रहा। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कड़ाई से कराने के साथ होम डिलीवरी सिस्टम का एक्शन प्लान बनाने के लिए बुधवार को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की कलेक्ट्रेट में बैठक हुई। व्यवस्था में कमी न रहे, किसी को दिक्कत न आए, इसलिए ठेले और सिर पर डलिया के माध्यम से फल, सब्जी व अन्य जरूरी खाद्य सामान की सप्लाई चेन को अनुमति दी जाएगी। दूध, राशन, गैस सिलिंडर, मसाले आदि जरूरी सामान किराना दुकानदारों के जरिए पहुंचाए जाएंगे। किराना की वही दुकानें खुलेंगी, जो डोर टू डोर राशन की आपूíत कर सकेंगी। व्यापार मंडलों के माध्यम से ऐसे दुकानदारों की सूची मांगी गई है। यह सूची थानावार बनाकर थानाध्यक्षों को दी जाएगी। ई-रिक्शा, वैन और ठेले से सप्लाई सुचारू रहे, इसकी व्यवस्था सीधे थानाध्यक्ष देखेंगे। जरूरी खाद्य सामान की डिलीवरी करने वाले अपने साधन और पैदल, दोनों तरह से आ-जा सकें, इसकी व्यवस्था की जाएगी। वहीं लॉकडाउन के कारण बाहर से सामान आने में आ रही दिक्कत को दूर करने के लिए पड़ोसी जिलों के जिलाधिकारी से बात की गई है। मेडिकल सप्लाई चेन बनाने केलिए दवा व्यापारी संगठनों से भी प्रशासन की बात हो रही है। जिलाधिकारी ने माना कि जरूरी सामान मिलने में समस्या हो रही हैं, लेकिन लोग परेशान न हों, एक दो दिन में सप्लाई चेन पूरी तरह दुरुस्त हो जाएगी और सामान मिलने में कोई समस्या नहीं आएगी। होम डिलीवरी के लिए क्षेत्रीय किराना दुकानदार अपने आसपास के लोगों को अपना मोबाइल नंबर देंगे। जिसे भी राशन की जरूरत होगी, वह फोन पर आर्डर बुक कराएंगे। चूंकि शहर की आबादी करीब 50 लाख है, ऐसे में किराना दुकानदार कितने लोगों को राशन की होम डिलीवरी सकेंगे, यह बड़ा सवाल है। अधिकारियों का भी मानना है कि होम डिलीवरी प्रक्रिया को पूरी तरह व्यवहार में लाने में वक्त लग सकता है।
कानपुर जंक्शन से कानपुर सेंट्रल स्टेशन बनने के बाद ऐसा सन्नाटा नहीं रहा
कानपुर। कानपुर में ट्रेनों का संचालन शुरू हुए करीब 161 साल गुजर गए हैं। शहर में रेल के इस लंबे सफर के दौरान सेंट्रल स्टेशन से युद्ध काल में भी ट्रेनों का संचालन होता रहा है। ऐसा पहली बार हुआ जब 21 मार्च को ट्रेनों का संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया। सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारियों की मानें तो सेंट्रल पर ऐसी खामोशी पहली बार देखने को मिली है।
1859 में कानपुर जंक्शन का भवन बना था। 10 डिब्बे वाली पहली मालगाड़ी प्रयागराज से ईंट और गिट्टी लेकर पुराने स्टेशन पर आई थी। इसके बाद अन्य ट्रेनों का संचालन होने लगा। नवंबर 1928 में अंग्रेजी हुकूमत के इंजीनियर डॉन एच ओनियन की देखरेख में नए भवन का निर्माण शुरू हुआ। 29 मार्च 1930 को मौजूदा भवन बनकर तैयार हुआ। पहले यहां तीन प्लेटफार्म थे। एक ट्रेन से सफर शुरू करने वाला कानपुर जंक्शन अब कानपुर सेंट्रल के नाम से जाना जाता है। यहां से प्रतिदिन करीब 350 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं और एक लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है। वर्तमान में यहां 10 प्लेटफार्म हैं। कानपुर सेंट्रल दिल्ली-हावड़ा रूट का सबसे अहम स्टेशन है। तकरीबन 20 साल पहले रेलवे से सेवानिवृत्त हुईं सविता देवी ने बताया कि युद्धकाल में भी ट्रेनें चलती रहीं। यहां से कभी ट्रेनों का संचालन बंद नहीं हुआ। सेंट्रल स्टेशन पर अब भयभीत करने वाली खामोशी है। हालांकि मालगाडिय़ां जरूर स्टेशन के सन्नाटे को तोड़ती हैं। कभी दुकान पर घड़ी लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। ट्रेनों के आवागमन की उद्घोषणा से टाइम का अंदाजा अपने आप लग जाता था। मगर, अब सन्नाटा पसरा हुआ है। टाइम का भी अंदाजा नहीं लगता है।
कोरोना से लड़ाई सोशल डिस्टेंसिग और लॉक डाउन को सफल बनाना है
कानपुर। इन दिनों देश माह मारी से गुजर रहा है ऐसे में हमारे जिला अधिकारी डॉ ब्रम्हराम देव  तिवारी और एस एस पी और  डी आई जी  अनन्त देव तिवारी ने कानपुर को जनता  और दुकानदारों और  सब्जी विक्रेताओं को एक संदेश दिया है कि आप सोशल डिशटेन्स 1.5 मीटर बना कर रखे। और उस जगह को चिन्हित करके वही से लेनदेन करे। ताकि  सक्रमण न फैले  और अपने को सेफ रखने  के लिए मास्क पहने ।और सेनेटाइजर का थोड़ी थोड़ी देर में उपयोग करे। घर से बहुत ही जरूरी हो तो ही बाहर निकले अपने को सेफ करते हुए । और जिला प्रशासन ने समय से आवश्यक सामग्री की दुकानों का समय निश्चित किया है उसी समय पर निकले जितना जरूरत हो उतना ही लाये ताकि सभी भाइयो को मिल सके । सभी आवश्यक सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है संग्रह  की जरूरत नही है  समय का  विशेष ध्यान रखें। और 21 दिन  लॉक डाउन को सफल बनाना और कर्त्तव्य ही नही हमारा दायित्व है तभी हम कोरोना को मार भगाएंगे।