पारस प्रेम फर्रुखाबाद

कोरोना वायरस महामारी में कवि "चितलाय" का संदेश



कोरोना कष्ट कर रहा,सबको बहुत बेहाल।
असमंजस में सब पढ़े,जाटव हो या पाल।।


जाटव हो या पाल,हाल है सबके फीके।
बनके आयी व्याधि,दिन गुजरत नहीं नीके।।


कहें चंद्र चितलाय,विश्ब का रोना धोना।
वना नहीं उपचार,कौन विधि मिटै कोरोना।।


आपस में मिलिए नहीं,रहिये सबसे दूर।
मुख को बांधो मॉस्क से,साबधान भरपूर।।


साबधान भरपूर,व्यर्थ न घूमों बाहर।
साबुन धोलो हाथ,वृक बनो बनो न नाहर।।


कहें चंद्र चितलाय,चढ़ो न गाड़ी बस में।
शुद्ध राखिये वस्त्र,एकत्र न हो आपस में।


इस संकट के समय में हितकारी सरकार।
गरीब जनता को दिए बड़े बड़े उपहार।।


बड़े बड़े उपहार जनता रख्खी गोदी में।
कौन है परेशान दया भाव है मोदी में।।


कहें चंद्र चितलाय न सहायता से न कटके।
फ़िक्र जिक्र की बात नहीं दिन गुजर जायेंगे संकटके।।


लेखक
      रतीराम चितलाय
     पूर्व प्रधान लिपिक फिरोज गांंधी जनता इंटर कॉलेज कमालगंज फर्रुखाबाद मो०9473990174